क्या है उनकी उपलब्धियां?
खेल की दुनिया में हमें कुछ ऐसी कहानियां सुनने को मिलती हैं जिनमे असाधारण परिस्थितियों में एक खिलाड़ी अपने देश के लिए इतिहास की रचना करता है और विश्व विख्यात हो जाता है।
ऐसे ही एक खिलाड़ी हैं हाई जम्पर, Mutaz Essa Barshim.
क़तर का खेल इतिहास ट्रैक और फील्ड वर्ग में इतना स्वर्णिम नहीं है, लेकिन Barshim ने अकेले ही इस पूरे इतिहास को बदल दिया और अपने कई कीर्तिमान स्थापित किये हैं।
पिछले दशक में Barshim हाई जम्प की दुनिया के सबसे तेज़ चमकने वाले सितारों में से एक रहे हैं और उन्होंने 2 ओलिंपिक पदक (2012 लंदन में कांस्य और रियो 2016 में रजत) के साथ दो विश्व चैंपियनशिप (2017 और 2019) भी अपने नाम करीि है। हाई जम्प की दुनिया के सबसे बड़े सितारों की सूची में विश्व कीर्तिमान के धारक, Javier Sotomayor, जर्मनी के Dietmar Mogenburg और स्वीडन के Stefan Holm के साथ Mutaz Barshim का नाम भी जुड़ गया है।
हैरानी की बात यह है की Barshim जब छोटे थे तो वह अपने पिता की तरह एक रेस वॉकर बनना चाहते थे लेकिन उन्होंने हाई जम्प का खेल चुना। Barshim ने यह खेल चुना और न केवल क़तर का राष्ट्रीय रिकॉर्ड अपने नाम किया, उन्होंने एशियाई रिकॉर्ड भी ध्वस्त किया।
साल 2019 में उन्होंने अपने करियर का सबसे महत्वपूर्ण मुकाम हासिल किया और अपने ही देश क़तर में आयोजित हुई विश्व प्रतियोगिता अपने ही लोगों के सामने जीत ली। उन्होंने यह लक्ष्य और ख़िताब चोट का डर होने के बावजूद जीत कर दिखाया।
चौंका देने वाली बात
Barshim की सफलता और उनके सफर को देख कर ज़्यादातर लोग यही सोचते होंगे की वह एक प्रतिभाशाली युवा रहे होंगे।
लेकिन आप यह जान कर हैरान हो जायेंगे की Barshim के शुरुआती सालों में कहानी बिलकुल विपरीत थी।
Barshim का जन्म क़तर में हुआ लेकिन उनके माता पिता सुदानी मूल के थे और अपने पिता की तरह उन्हें भी खेल में रूचि होने लगी। रेस वाकिंग के साथ साथ, Barshim ने लॉन्ग जम्प, हाई जम्प और ट्रिपल जम्प भी खेलना शुरू किया पर उन्हें हाई जम्प ज़्यादा पसंद थी।
हैरानी की बात यह है की Barshim ने जब खेलना शुरू किया तो उनका प्रदर्शन बेहद ख़राब रहता था और उनकी माने तो वह अपने वर्ग में सबसे ख़राब खिलाड़ियों में से एक थे।
स्पोर्ट 360 से बात करते हुए, Barshim ने बताया, '17 वर्ष की आयु तक मैं सबसे ख़राब खिलाड़ियों में से एक था और मेरे साथी मुझसे बहुत बेहतर प्रदर्शन करते थे। मुझे कभी नहीं लगता था की मेरे अंदर कोई खास प्रतिभा है।'
'लेकिन मेरे पिता ने मेरा मार्गदर्शन करते हुए मुझे बताया की कड़े परिश्रम, धीरज और सहनशीलता से ही एक खिलाड़ी आगे बढ़ता है और मैंने इसी बात को अपना बना लिया।
अगला लक्ष्य: टोक्यो 2020 में स्वर्ण
दो विश्व चैंपियनशिप ख़िताब, दो ओलिंपिक पदक और एशियाई रिकॉर्ड अपने नाम करने के बाद, ज़्यादातर खिलाड़ी निश्चिन्त हो जाते है पर Barshim की नज़र अब टोक्यो 2020 खेलों में स्वर्ण जीतने पर है।
अभी वह स्वीडन में अभ्यास कर रहे हैं और लंदन में कांस्य और रियो में रजत जीतने के बाद वह पदक को स्वर्ण में परिवर्तित करने की कोशी करेंगे।
Barshim टोक्यो में स्वर्ण जीतें या न जीतें, अपने आप को सबसे ख़राब कहने वाला वह युवा अब सर्वश्रेष्ठ होने के पथ पर है।