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चुनौतीपूर्ण 2020 ने कैसे बनाया भारतीय महिला हॉकी टीम को मज़बूत
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भारतीय महिला हॉकी के इतिहास में पहला ओलिंपिक पदक जीतने की तैयारी कर रही है Sjoerd Marijne की टीम
अगले साल होने वाले टोक्यो 2020 ओलिंपिक खेलों के लिए विश्व के सारे देश अलग तरह से तैयारी कर रहे हैं और कोरोना महामारी ने प्रत्येक खिलाड़ी का दृष्टिकोण बदल दिया है। भारतीय महिला हॉकी टीम 2021 में वह करने का प्रयास कर रही है जो राष्ट्र के खेल इतिहास में कभी नहीं हुआ और चुनौती से भरे वर्ष 2020 ने सबका निश्चय पक्का कर दिया है।
कोच Sjoerd Marijne के निरिक्षण में अभ्यास कर रही भारतीय महिला टीम को कोरोना महामारी के कारण लगे लॉकडाउन से हुए खेल विलम्भ ने बहुत हताश कर दिया था क्योंकि वह ओलिंपिक खेलों में हिस्सा लेने के लिए तत्पर थी। रियो में हुए 2016 ओलिंपिक खेलों के प्रदर्शन के बाद यह टीम टोक्यो के लिए तैयार थी पर कोरोना महामारी ने सारे उद्देश्यों को कुछ समय के लिए रोक दिया।
वोग इंडिया से बात करते हुए उपकप्तान Savita Punia ने बताया, "हम अंदर से टूट गए थे और कुछ दिन तक हमारी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी।" यह निराशा विश्व के कई खिलाड़ियों को महसूस हुई और भारतीय महिला हॉकी टीम के सामने एक नई चुनौती आ चुकी थी।
टीम की कप्तान Rani Rampal ने वोग इंडिया को बताया कि निजी जीवन के संघर्ष ने हर खिलाड़ी को बहुत शक्ति और सहनशीलता दी। उन्होंने कहा, "हमने इस निराशा में एक उम्मीद कि किरण देखी और हमें लगा कि अभ्यास करने के लिए एक साल और मिल गया।" लॉकडाउन में भारतीय महिला टीम ने प्रवासी मज़दूरों के लिए 20 लाख रुपए की राशि को जोड़ने में सहायता करते हुए सामाजिक काम में अपना योगदान दिया।
Rani Rampal ने बताया, "इस टीम के हर खिलाड़ी को पता था कि भूखा रहना क्या होता है और हमें हर मज़दूर की पीड़ा से बहुत दुःख हुआ।"
Thanks @VOGUEIndia for this wonderful honour 🙏super proud of this team ❤️thanks to each one of u who always supports this team no matter what 💪#bharatkisherniya #inspirethefuture #BeTheChange https://t.co/cCf6g0uZpF
— Rani Rampal (@imranirampal) November 9, 2020
भारतीय टीम के कोच Marijne के अनुसार कोरोना महामारी के कारण लगे लॉकडाउन से सब खिलाड़ियों को लाभ हुआ है और वह अब जीतने के लिए अधिक एकाग्रित हैं।
उन्होंने कहा, "सारे खिलाड़ियों को अच्छा विश्राम मिला है और सबने अपने परिवार के साथ काफी समय बिताया जिसकी वजह से अब वह मानसिक दृष्टिकोण से बेहतर हैं। लॉकडाउन ने हर खिलाड़ी को बहुत कुछ सिखाया है और सबने अपने पोषण पर विशेष ध्यान दिया है।"
टीम के खेल को सुधारने के लिए अपनी गलतियों से सीखना बहुत ज़रूरी है लेकिन उससे भी ज़्यादा महत्वपूर्ण है अपने प्रतिद्वंदी की रणनीति को जानना। ओलिंपिक खेलों में भाग लेने वाले अन्य राष्ट्र के बारे में गहरा विश्लेषण करते हुए भारतीय हॉकी टीम ने बहुत कुछ सीखा है।
किसी भी टीम की सफलता उसके सदस्यों में एकता पर बहुत निर्भर करती है और भारतीय महिला हॉकी टीम एकजुट है। टीम की उपकप्तान Punia ने बताया कि सारे खिलाड़ी एक साथ मिल कर आनंद लेते हैं और बहुत बारे मनोरंजन वाले कार्य करते हैं।
मस्ती और मनोरंजन टीम की एकता में बहुत सहायता करता है लेकिन खिलाड़ियों का सारा ध्यान सिर्फ ओलिंपिक खेलों में पदक जीतने पर केंद्रित है। Punia ने कहा, "हमें हॉकी से बहुत समय तक दूर थे और यह हमारे लिए कठिन था लेकिन अब हम वापस खेल रहे हैं सही माने तो यही हमारा घर है।"
भारतीय महिला हॉकी टीम ने 2016 ओलिंपिक खेलों में 1980 के बाद पहली बार अपनी जगह बनाते हुए इतिहास रचा था लेकिन टोक्यो 2020 खेलों में उनका लक्ष्य पदक होगा।