बेहतर से बेहतरीन होने के लिए आत्मविश्वास का पहाड़ चढ़ना पड़ता है। खेल एक ऐसी चीज़ है जिसमें हर खिलाड़ी को कभी न कभी खुद से लड़ना पड़ता है ताकि वह विश्व में अपना नाम बना सके।
भारतीय बॉक्सर अमित पंघल (Amit Panghal) जो फ्लाईवेट वर्ग में नंबर-1 स्थान पर काबिज़ हैं उन्होंने इस मुकाम को हासिल करने के लिए बहुत सी कुर्बानियाँ दी हैं। अपने इस सफ़र में उन्होंने ओलंपिक चैंपियन हसनबॉय दुसमटोव (Hasanboy Dusmatov) को भी मात दी है।
रिंग में कई बार जीत का स्वाद चख चुके अमित पंघल एशियन गेम्स 2018 फाइनल को अपने करियर का सबसे उम्दा मुकाबला मानते हैं।
ओलंपिक चैनल से बात करते हुए अमित ने कहा “मुझे लगता है कि वह बाउट मेरी सबसे अच्छी बाउट थी। उस मुकाबले ने मेरे लिए काफी कुछ बदल दिया।”
उस समय हसनबॉय और अमित एक दूसरे के कट्टर प्रतिद्वंदी थे और यही जोश रिंग में दिखाई दिया।
साल 2017 में अमित पंघल ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कदम रखे थे और तब से लेकर अब तक उन्होंने मुड़कर नहीं देखा। लेकिन उस रियो 2016 लाइट फ्लाईवेट ओलंपिक चैंपियन के सामने भारतीय बॉक्सर को दृढ़ता का प्रमाण पेश करना था और उन्होंने ठीक वैसा ही किया।
पहले दो बार पंघल के लिए खिताब जीतने मुश्किल हो चुका था और 2017 एशियन चैंपियनशिप में सेमीफाइनल में हसनबॉय दुसमटोव के हाथों मात खाने के बाद उन्हें ब्रॉन्ज़ से संतोष करना पड़ा।
जर्मनी में हुए 2017 वर्ल्ड चैंपियनशिप के उस मुकाबले को अमित ने एक बार दोबारा जिया और उसके बारे में कुछ बातें की।
“मैं हसनबॉय से दोनों बार हार गया था और वह भी 5-0 के स्कोर से। उन्हें हराना मेरा लक्ष्य बन गया था और मेरी ट्रेनिंग भी उसी हिसाब से हो रही थी।”
“मैंने और हार्ड ट्रेनिंग शुरू कर दी थी ताकि उनके फुटवर्क और पंच को संभाल सकूं।”
अब बारी थी अमित की वापसी की और जकार्ता में 2018 एशियन गेम्स का स्टेज सज चुका था।
बातचीत को आगे बढ़ाते हुए अमित ने कहा “मुकाबले के बिल्ट अप के दौरान मैं यही सोच रहा था कि उन्हें कैसे हराउं और इस मिथ को तोड़ दूं। मुकाबले से एक रात पहले मैं जागा हुआ था और मेरे दिमाग में मेरी ट्रेनिंग ही चल रही थी। मेरी जीत बेहद ख़ास साबित हुई।”
तीसरी बार अमित ने जीत तो हासिल की लेकिन उस जीत को पाना आसान नहीं था। अमित ने अपने प्रतिद्वंदी के खिलाफ 3-2 से मुकाबला जीता और हमेशा के लिए अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज कर दिया।
“उस मुकाबले से पहले मैं हमेशा पहले राउंड में समय लेता था। आक्रामक होने से पहले मैं हमेशा अपने प्रतिद्वंदी को आंकता था और उस हिसाब से ही आगे के राउंड में प्रदर्शन करता था। लेकिन हसनबॉय के खिलाफ वह रणनीति पहले मुझ पर भारी पड़ चुकी थी।”
“मैं जानता था कि वह स्लो स्टार्ट अब काम नहीं आएगी। मुझे यकीन था कि पहले राउंड से ही मुझे फ्रंट फुट पर खेलना पड़ेगा और उसी हिसाब से रणनीति बनानी पड़ेगी। और उस मुकाबले को मैंने 3-2 से जीत लिया।”
उस जीत ने अमित पंघल के भविष्य का प्रमाण पेश किया।
एक साल के बाद पंघल ने 53 किग्रा फ्लाईवेट में खेलना शुरू कर दिया और साथ ही हसनबॉय ने भी इसी भारवर्ग को अपने लिए चुना।
इन दोनों प्रतिद्वंदियों का सामना 2019 एशियन गेम्स के क्वार्टरफाइनल में हुआ और इस बार पंघल ने 4-1 से जीत अपने खेमे में डाली और आगे चल कर गोल्ड मेडल पर अपने नाम की मुहर लगा दी। इस जीत के ज़रिए भारतीय मुक्केबाज़ ने हसनबॉय के खिलाफ अपने हेड टू हेड रिकॉर्ड को भी बेहतर किया और आज इनका रिकॉर्ड 2-2 से बराबर है।
“ओलंपिक चैंपियन को मात देने से मुझमे बहुत सा आत्मविश्वास भर गया और मैं महसूस कर सकता था कि उस जीत ने मुझे एक बेहतर बॉक्सर बना दिया है। उनके खिलाफ दो बार हारने के बाद उन्हें हराना ख़ास था और ऐसे में मैंने आत्मविश्वास को भी पाया था। उसके बाद मुझे यकीन हो गया था कि मैं इस विश्व में किसी को भी हरा सकता हूं।”
अमित पंघल के लिए यही आत्मविश्वास तब एक कवच बनेगा जब वह अपने डेब्यू ओलंपिक गेम्स का हिस्सा बनेंगे।
भारतीय मुक्केबाज़ अमित पंघल ने टोक्यो गेम्स के लिए क्वालिफाई कर लिया है और अब यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी रणनीति क्या होती है।